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फर्रुखाबाद। डॉ. राममनोहर लोहिया पुरुष अस्पताल का सांसद, विधायक और जिलाध्यक्ष ने निरीक्षण किया। सांसद के सामने ही डायलिसिस प्रभारी और सीएमएस में बहस हो गई। सांसद को पता चला कि मरीजों को जनऔषधि केंद्र से दवा खरीदनी होती है। इस पर नाराजगी जताई। कहा कि सरकारी अस्पताल में गरीब ही इलाज कराने आते हैं। सरकार के आदेश के बावजूद बाजार से दवाएं क्यों नहीं खरीदी जाती हैं।

सांसद मुकेश राजपूत, जिलाध्यक्ष रूपेश गुप्ता और शहर विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी ने लोहिया अस्पताल का गुरुवार शाम निरीक्षण किया। सांसद ने कुछ मरीजों से बात की, तो पता चला कि उन्हें जनऔषधि केंद्र से रुपये देकर दवाएं खरीदनी होती हैं। इस पर सीएमएस से नाराजगी जताई। कहा कि सरकारी अस्पताल में गरीब मरीज आते हैं। सरकार के आदेश के बावजूद उनके लिए बाजार से दवाएं क्यों नहीं खरीदी जाती हैं।

सीएमएस ने बजट न होने की बात कही। इस पर कहा कि वे बात करेंगे। इमरजेंसी की गैलरी में अंधेरा मिलने पर पता चला कि जनरेटर नहीं चल रहा था। सांसद ने सीटी स्कैन में रखे रजिस्टर में लिखे नंबरों पर मरीजों से बात की। इनमें कई नंबर नहीं मिले।

जनप्रतिनिधि डायलिसिस यूनिट पहुंचे। जिलाध्यक्ष ने यूनिट प्रभारी जहीर अली खां से मरीजों का लेखाजोखा मांगा, तो उन्होंने लैपटॉप में होने की बात कह दी। सीएमएस ने बताया कि उनके पास 12 बेड की अनुमति है, जबकि यहां 15 बेड चलाने की बात कही जा रही है। बाजार से दवाएं मंगवाने की बात सामने आने पर सीएमएस और डायलिसिस प्रभारी में काफी देर बहस होती रही।

सांसद ने कहा कि जब बेड बढ़ाए गए तो सीएमएस को क्यों नहीं पत्र भेजा गया। काफी देर तक बहस होने के बाद नेता वहां से चले गए। जनप्रतिनिधियों ने सीएमएस को मरीजों का विशेष ख्याल रखने के निर्देश दिए।

पांच साल बाद मरीजों की आई याद

चंद महीनों में ही लोकसभा का चुनाव होना है। पांच साल में एक बार भी सांसद मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी लेने अस्पताल कभी नहीं पहुंचे। कई बार अन्य कार्यक्रमों में जाने के दौरान मरीजों के हित में कोई भी दिशा-निर्देश देने तक की जरूरत नहीं समझी। अस्पताल में जनरल और आर्थो के दो-दो सर्जन की तैनाती के बावजूद शासन से तैनात किए गए बेहोशी के डॉक्टर महीने में चार-पांच बार इमरजेंसी ड्यूटी करने आते हैं। इससे मरीजों के ऑपरेशन तक नहीं हो पा रहे हैं।

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