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Addressed World Anthropology Congress being held in Delhi University after 45 years

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते कुलपति प्रो. योगेश सिंह।
– फोटो : अमर उजाला

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दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की ओर से 45 वर्ष के बाद इंटरनेशनल यूनियन ऑफ एंथ्रोपोलॉजिकल एंड एथ्नोलॉजिकल साइंसेज (आईयूएईएस) वर्ल्ड एंथ्रोपोलॉजी कांग्रेस का आयोजन किया जा रहा है। 19वीं आईयूएईएस-डब्ल्यूएयू वर्ल्ड एंथ्रोपोलॉजी कांग्रेस-2023 का उद्घाटन विश्वविद्यालय के वाइस रीगल लॉज के कन्वेंशन हॉल में किया गया। इस कार्यक्रम में 70 देशों के मानव विज्ञान और संबद्ध विषयों के प्रतिष्ठित व्यक्तियों व विद्वानों ने भागीदारी की।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में डीयू के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि एंथ्रोपोलॉजी अध्ययन के क्षेत्र के रूप में महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही सामान्य रूप से जीवन के लिए भी इसकी बहुत प्रासंगिकता है। उन्होंने कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन दिल्ली विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक वाइस रीगल लॉज में होने को भी एक सुखद संयोग बताया। 

आईयूएईएस के अध्यक्ष प्रो. जुन्जी कोइजुमी ने बताया कि आईयूएईएस की पहली कांग्रेस 1934 में लंदन में आयोजित हुई थी। भारत ने 1978 में प्रो. एलपी विद्यार्थी के नेतृत्व में इस कार्यक्रम की मेजबानी की थी। डीयू के एंथ्रोपोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. सौमेंद्र एम पटनायक ने कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता करते हुए कहा कि इस बार यह कार्यक्रम दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर में ही आयोजित किया जा रहा है।

वैश्विक संबंधों को मिल रहा बढ़ावा

वर्ल्ड एंथ्रोपोलॉजी कांग्रेस-2023 में गहन बौद्धिक आदान-प्रदान, वैश्विक संबंधों को बढ़ावा देने और मानव विज्ञान के क्षेत्र में ज्ञान की खोज का काम करेगी। इसमें 165 तकनीकी सत्र, 10 पूर्ण सत्र, 160 पैनल, 15 गोलमेज, 10 कार्यशालाएं और 16 एथ्नोग्राफिक फिल्मों की स्क्रीनिंग के साथ कार्यक्रमों का एक व्यापक रोस्टर शामिल है। इस कॉन्फ्रेंस में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के जनपद संपदा प्रभाग, रॉक कला प्रभाग और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय की प्रदर्शनियां भी शामिल हैं।

1934 से हो रहा आयोजन

आईयूएईएस मानव विज्ञान, नृविज्ञान, पुरातत्व और भाषा विज्ञान के क्षेत्र में काम करने वाले वैज्ञानिकों और संस्थानों का एक वैश्विक संगठन है। यह संगठन 1934 से वैश्विक स्तर पर एंथ्रोपोलॉजिकल एंड एथ्नोलॉजिकल पर अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंसों का आयोजन कर रहा है। इसका उद्देश्य दुनिया के सभी क्षेत्रों के विद्वानों के बीच संचार को बढ़ाना और समृद्ध करना है।

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