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फर्रुखाबाद। डॉ. राममनोहर लोहिया पुरुष अस्पताल में डायलिसिस की नि:शुल्क सेवा के बावजूद बाजार की दवा के नाम पर हो रहे खेल के सामने आने के बाद कंपनी के दिल्ली और लखनऊ के अफसरों ने मंगलवार को जांच की। उन्होंने सीएमएस से मुलाकात कर हालातों से अवगत कराया। सीएमएस ने दूसरा स्टाफ रखने के लिए कहा है। सोमवार को 36 डायलिसिस के सापेक्ष 10 ही रसीदें कटवाईं गईं।

लोहिया अस्पताल की डायलिसिस यूनिट को निजी कंपनी संचालित कर रही है। इसका मरीज से कोई शुल्क नहीं लिया जा रहा। मगर यूनिट में तैनात स्टाफ दवा के नाम पर बड़ा खेल करने में जुटे थे। इस खेल को उजागर करते हुए अमर उजाला ने 12 अक्तूबर के अंक में मुफ्त डायलिसिस, फिर भी बाहर से लानी पड़ती हैं 1500 की दवाएं शीर्षक से खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी।

सीएमएस ने भी इस मामले को गंभीरता से लेकर उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया। यूनिट के स्थानीय जिम्मेदारों की मनमानी इतनी कि नियमानुसार अस्पताल से पर्चा बनवाकर संबंधित डॉक्टर की संस्तुति और ऑनलाइन निशुल्क पर्ची कटवाने की भी जरूरत नहीं समझ रहे थे। अपने स्तर से ही रोजाना मानक से कहीं अधिक डायलिसिस की जा रही थीं। कुछ मरीजों ने बताया कि जो दवाएं बाजार से लिखी जा रही हैं, वह एक मेडिकल के अलावा कहीं नहीं मिलतीं। वह मेडिकल भी यूनिट में तैनात एक कर्मचारी के भाई का बताया जा रहा है।

सीएमएस की सख्ती के बाद मंगलवार को संस्था डीसीडीसी किडनी केयर दिल्ली और लखनऊ के कई अधिकारी यहां पहुंचे। उन्होंने यूनिट में पहुंचकर कर्मियों से बातचीत कर पत्रावलियों की जांच की। कंपनी के अधिकारी सीएमएस से मिले। सीएमएस ने यूनिट को नियमानुसार ही चलाने की बात कही। कहा कि उनके यहां पीपीपी मॉडल पर सीटी स्कैन भी चल रहा है। उसमें कोई दिक्कत नहीं है। सीएमएस की सख्ती के बाद कंपनी को यूनिट बंद होने का भय सताने लगा है।

शून्य शुल्क की रसीद वाली संख्या का ही करेंगे भुगतान

अस्पताल के सीएमएस डॉ. राजकुमार गुप्त ने कहा कि शासन के आदेश हैं कि शून्य रुपये शुल्क की रसीद कटनी चाहिए। इसके बाद भी डायलिसिस यूनिट के जिम्मेदार मनमानी तरीके से डायलिसिस कर रहे हैं। कंपनी के अफसरों से साफ कह दिया कि वह रसीद कटने की संख्या का ही भुगतान करने के लिए संस्तुति करेंगे। ई-अस्पताल की प्रक्रिया चल रही है। अब बिना ऑनलाइन काम नहीं करवाएंगे।

अस्पताल करे दवा की व्यवस्था

यूनिट के मैनेजर जहीर अली खान ने सीएमएस को लिखित पत्र देकर कहा कि पर्चा और पर्ची बनवाना मरीज के लिए कठिन प्रक्रिया है। रोग के अनुसार रोगी को अलग-अलग दवाएं चाहिए होती हैं। वह दवाएं अस्पताल में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अस्पताल की फार्मेसी में महंगे इंजेक्शन की व्यवस्था की जाए। अच्छी सेवा देने के लिए टीम सेवाएं देने में तत्पर है।

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