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पीलीभीत। पंचायत राज विभाग में स्ट्रीट लाइट लगाने के नाम पर करीब दो करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था। जुलाई में डीएम ने दोषी 152 प्रधानों और 49 सचिवों से वसूली करने के आदेश जारी किए थे। इसके बाद सचिवों से एक माह ही उनके वेतन से वसूली हो सकी। इसके बाद सभी कोर्ट चले गए। उसके बाद से अब तक वसूली नहीं हो सकी है।

वर्ष 2021-22 में जिले की ग्राम पंचायतों में लगाई गई स्ट्रीट लाइटों को लेकर शिकायत हुई थी। कहा गया था कि गांवों में लगाई गईं लाइटें घटिया किस्म की हैं। इनको नियमानुसार खरीदा भी नहीं गया है। अधिक मूल्य पर भी खरीदने के आरोप लगे थे। शिकायत पर इसकी पंचायतों में टीमों का गठन कर जांच कराई गई थी।

जांच में जिले की 152 ग्राम पंचायतों में लाइट के नाम पर करीब दो करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया था। इसके बाद सचिवों और प्रधानों को नोटिस जारी किए गए थे। नोटिस जारी होने के बाद तत्कालीन डीपीआरओ और एक बाबू ने मिलकर पत्रावली ही दबा दी थी। इससे मामला कई माह तक नहीं उठा। जुलाई में जब मामला फिर उखड़ा तो डीएम ने पत्रावली तलब की। डीएम ने अपने स्तर से पड़ताल के बाद दोषी 17 ग्राम पंचायत अधिकारी और 32 ग्राम विकास अधिकारियों (वीडीओ) से वसूली के आदेश दिए थे। साथ ही 152 ग्राम प्रधानों से भी वसूली के आदेश थे। सभी को वसूली के नोटिस भी जारी किए गए थे।

नोटिस के बाद 17 सचिवों से पहली किस्त के ही रुपये वेतन से कट सके थे तो वहीं महज तीन या चार प्रधानों ने रकम राजकीय कोष में जमा की थी। इसके बाद सभी खुद को बचाने के लिए कोर्ट की शरण में चले गए। ऐसे में अब तक दूसरी किस्त भी नहीं कट सकी है। बताया जाता है कि अगस्त की सैलरी से कटौती हुई थी। अब कोर्ट का नाम आते ही अधिकारी भी सुस्त पड़ गए हैं। ऐसे में वसूली का मामला एक बार फिर से ठंडे बस्ते में चला गया है।

सचिवों की पहली किस्त की कटौती हो चुकी है। कुछ प्रधानों ने भी रकम जमा की है। दिखवाया जा रहा है कि कितने प्रधानों ने जमा नहीं किया है। ऐसे में नोटिस जारी कर आरसी जारी करवाई जाएगी। किसी भी दशा में घोटाला करने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा।- सतीश कुमार, जिला पंचायत राज अधिकारी

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