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दिल्ली पुलिस
– फोटो : फाइल फोटो
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दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने दक्षिण दिल्ली के डेरा गांव छतरपुर में फार्म हाउस में चल रहे अवैध कैसीनो का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने अवैध कैसिनो के पांच मालिक समेत 47 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस की दबिश के समय फार्म हाउस में 20 से ज्यादा महिला कर्मचारी मौजूद थी। पुलिस ने कैसिनो से 8.06 लाख नगद, कैसिनो टेबल, कैसिनो टोकन, अवैध शराब, फ्लेवर्ड हुक्का और म्यूजिक सिस्टम जब्त किया है।
क्राइम ब्रांच के विशेष पुलिस आयुक्त रविंद्र सिंह यादव ने बताया कि इंस्पेक्टर पवन को सूचना मिली थी कि छतरपुर में स्थित एक फार्म हाउस में अवैध कैसीनो संचालित किया जा रहा है। इस संबंध में गुप्त व तकनीकी माध्यम से जानकारी विकसित की गयी। इसके बाद एसीपी रमेशचंद्र लांबा की देखरेख में इंस्पेक्टर सतेंद्र मोहन, इंस्पेक्टर पवन व महिपाल, एसआई अमित, एसआई रविंद्र हुड्डा, महिला एसआई सिमरन की टीम ने डेरा गांव, छतरपुर में स्थित फार्म-हाउस पर छापेमारी की। उस समय परिसर के अंदर, कैसीनो में कई जुआरी मौजूद थे व जुआ खेल रहे थे। कैसीनो में हुक्का व शराब भी परोसी जा रही थी।
जांच में पता लगा कि गांधी कॉलोनी, एनआईटी फरीदाबाद, हरियाणा निवासी अमित कुमार (39),सतेंद्र सहगल, (29), साहिल गुजराल (35), तेजिंदर सिंह (37) और मिथुन तनेजा (43 ) इसके मामलिक हैं । इंस्पेक्टर सतेंद्र मोहन व एसआई रविंद्र हुड्डा की टीम ने इन पांचों मालिक समेत 47 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि जमानती धाराएं होने के कारण सभी को जमानत दे दी गई।
पूछताछ के दौरान आरोपी आयोजकों ने बताया कि अवैध कैसीनो एक किराए के फार्म हाउस में चल रहा था। वे अपने परिचितों व ग्राहकों को फोन व व्हाट्सएप द्वारा फार्म हाउस की लोकेशन साझा करता थे। फार्म हाउस में प्रवेश प्रतिबंधित था और दरवाजा केवल गुरुजी कोड बताने पर खोला जाता था । प्रत्येक टेबल पर एक से आठ तक के अंक लिखे थे और प्रत्येक अंक पर एक सट्टेबाज बैठ सकता था, जिससे कुल आठ सट्टेबाज ही एक बार में भाग ले सकते थे।
खेलने के लिए या तो टोकन खरीदना पड़ता था या आयोजकों से उधार लेना पड़ता था। आयोजकों द्वारा 500 से 10,000 तक के टोकन का उपयोग किया जा रहा था। आयोजक प्रत्येक सट्टेबाज को तीन पत्ती वितरित करता था और फिर सट्टेबाजों को एक-एक करके अपने कार्ड दिखाने होते थे। जिसके पास तीन समान कार्ड की बड़ी संख्या होती, वह विजेता घोषित किया जाता था। टेबल पर खिलाडियों द्वारा रखे गए सभी टोकन विजेता की संपत्ति हो जाती थी। दिए गए स्थान से सट्टेबाज अगले दिन टोकन को नगदी में परिवर्तित करा सकते थे।
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