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दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने एक अंतरराज्यीय ड्रग सिंडिकेट का भंडाफोड़ करते हुए तीन मादक पदार्थ तस्करों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों में एक युवती रेखा भी शामिल है। तीनों आरोपी मोहम्मद फैजान बेग (23), मोहम्मद जुबैर (26) और रेखा दवाइयों की दुकान पर काम कर चुके हैं। इनके कब्जे से ट्रामाडोल की कुल 1,44,904 गोलियां, अल्प्राजोलम की 52,200 गोलियां, कोडीन-आधारित सिरप की 348 बोतलें और पेंटाजोसिन के 1600 इंजेक्शन बरामद किए गए हैं। इनकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 10 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इन ड्रग तस्करों की गिरफ्तारी के बाद से दिल्ली एनसीआर में नशीली दवाओं के दुरुपयोग में गिरावट आई है।
स्पेशल सेल पुलिस उपायुक्त इंगित प्रताप सिंह ने बताया कि इंस्पेक्टर मनेंद्र सिंह को मोहम्मद फैजान बेग और उसके सहयोगी जुबैर द्वारा संचालित एक ड्रग सिंडिकेट के बारे में सूचना मिली थी। जांच में पता लगा कि मोहम्मद फैजान बेग और जुबैर दोनों दिल्ली एनसीआर और अन्य पड़ोसी राज्यों से प्रतिबंधित दवाओं की खरीद में शामिल हैं और देश भर में फैले अपने सहयोगियों को इसकी आपूर्ति करते हैं। जांच के दौरान फिर छह अक्तूबर को सूचना मिली कि मोहम्मद फैजान बेग ईस्ट ऑफ कैलाश से प्रतिबंधित दवाओं की एक बड़ी खेप खरीदेगा और उसे दो बजे के बीच दिल्ली के कर्दमपुरी के पास अपने सहयोगी को सौंपेगा।
एसीपी संजय दत्त व सुनील कुमार की देखरेख में इंस्पेक्टर मनेंद्र सिंह व सुनील कुमार की टीम ने ईस्ट ऑफ कैलाश स्थित कैप्टन गौड़ मार्ग पर घेराबंदी कर मोहम्मद फैजान बेग को पकड़ लिया। तलाशी लेने पर उसके द्वारा किराए पर लिए गए ऑटो-रिक्शा से साइकोट्रोपिक दवाओं की एक बड़ी खेप बरामद हुई। इसके अलावा उसकी निशानदेही पर कर्दमपुरी स्थित उसके घर से भारी मात्रा में ड्रग्स बरामद की गई है।
फैजान के सहयोगी और प्रतिबंधित दवाओं के आपूर्तिकर्ता कासगंज, उत्तर प्रदेश निवासी जुबैर को बाद में गिरफ्तार किया गया। तलाशी लेने पर, इंद्रपुरम, गाजियाबाद, यूपी स्थित उसके घर से ट्रामानाम-एसआर 100 की 67,000 गोलियां बरामद की गईं। इनमें प्रतिबंधित पदार्थ ट्रामाडोल था। इसके तीसरी साथी रेखा को ईस्ट ऑफ कैलाश, दिल्ली से पकड़ा लिया। उसके संत नगर स्थित किराए के परिसर से कोरेक्स सिरप की 48 बोतलें बरामद की गईं। उसके पास से कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज भी बरामद किये गये।
बेग ने लोनी इंटर कॉलेज से की है पढ़ाई
आरोपी मोहम्मद फैजान बेग ने 2019 में लोनी इंटर कॉलेज गाजियाबाद, यूपी से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। इसके बाद उसने विभिन्न दुकानों पर सेल्समैन के रूप में काम करना शुरू कर दिया। जब वह एक फार्मेसी की दुकान पर काम कर रहा था तो उसे साइकोट्रोपिक दवाओं और नियंत्रित दवाओं के अवैध व्यापार के बारे में पता चला। 2021 में उनकी मुलाकात लोनी इलाके में सह-आरोपी जुबैर से हुई, जो ट्रामाडोल, अल्प्राजोलम और ऐसी अन्य दवाओं सहित प्रतिबंधित पदार्थों का एक बड़ा आपूर्तिकर्ता था। इसके बाद उसने हर हफ्ते जुबैर से प्रतिबंधित दवाएं खरीदनी शुरू कर दीं और विभिन्न उपभोक्ताओं को इन दवाओं की आपूर्ति शुरू कर दी। उन्होंने आगे खुलासा किया कि जुबैर अलीगढ़ बाजार से बड़ी मात्रा में प्रतिबंधित दवाएं खरीदता था।
बी.कॉम पास है जुबैर
यूपी के कासगंज में पैदा हुए जुबैर ने वर्ष 2014 में एक स्थानीय इंटर कॉलेज से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। इसके बाद उसने वर्ष 2017 में कासगंज से बी.कॉम की पढ़ाई पूरी की। उसने कासगंज के नावेद से प्रतिबंधित दवाओं के अवैध व्यापार के बारे में सीखा। जल्द ही उसने ऐसी दवाओं की खरीद और आपूर्ति का अपना व्यवसाय शुरू कर दिया। वह इन दवाओं को अलीगढ़ और आगरा के विभिन्न लोगों और मेडिकल स्टोरों से खरीदता था। उसे 2022 में यूपी के पीएस कासगंज में प्रतिबंधित सामग्री के अवैध व्यापार के एक मामले में भी गिरफ्तार किया गया था।
वैष्णव फार्मा के नाम से अवैध कारोबार चला रही थी रेखा
आरोपी रेखा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उसने दिल्ली के संत नगर में प्रथम एंटरप्राइज के नाम से एक दवा की दुकान में काम करना शुरू किया। फिर, उसने गोविंद जयसवाल के साथ मिलकर आरजे एंटरप्राइजेज के नाम और स्टाइल से एक फर्म शुरू की। इसके बाद बिना चालान के प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री के कारण, औषधि नियंत्रण विभाग ने उसका लाइसेंस रद्द कर दिया। लगभग आठ महीने पहले वह राजकुमार के माध्यम से मोहम्मद फैजान बेग से मिली और उसे प्रतिबंधित पदार्थ की आपूर्ति करना शुरू कर दिया। वह प्रतिबंधित पदार्थो को विभिन्न लोगों और दवा की दुकानों से खरीदती थी। वह वैष्णव फार्मा के नाम से जारी बिक्री और खरीद लाइसेंस की आड़ में यह अवैध कारोबार चला रही थी।
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