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फर्रुखाबाद। लूट के आरोपी की पुलिस व तहसील की फर्जी सत्यापन रिपोर्ट के आधार पर जमानत करा दी गई। कोर्ट ने इस मामले में मऊदरवाजा एसओ को वकील व दो जमानतगीरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं।

विशेष न्यायाधीश एंटी डकैती की कोर्ट में नौ अक्तूबर को जिला कारागार से लूट के आरोपी विकास यादव की वर्चुअल पेशी कराई गई। आरोपी के वकील आशुतोष बाजपेई ने बताया कि अब वह विकास के वकील हैं। कुछ समय पहले वकील पूनम दुबे ने विकास का जमानतनामा कोर्ट में प्रस्तुत किया था। विकास ने बताया कि उसको जमानतगीर नहीं मिल रहे थे। तारीख पर पूनम दुबे मिलीं। जमानत कराने का भरोसा दिया। इस पर आधे रुपये दे दिए। आधे बाद में देने की बात तय हुई। पूनम दुबे ने 14 सितंबर को गांव अजमतपुर के जमानतगीर सुभाष दीक्षित व अजय सिंह के प्रपत्र दाखिल किए। जमानतगीरों के प्रपत्र सत्यापन के बाद 18 सितंबर को विकास की जमानत मंजूर कर दी गई।

जमानतगीरों के सत्यापन के संबंध में कोर्ट ने फिर से मऊदरवाजा एसओ व तहसीलदार सदर से आख्या मांगी। तहसीलदार सदर ने आख्या दी कि सुभाष ने गैंगस्टर कोर्ट में एक व अजय ने तीन जमानत ले रखी हैं। 12 सितंबर को तहसीलदार की ओर से भेजी आख्या तहसील से सत्यापित नहीं की गई है।

एसओ मऊदरवाजा ने फिर से भेजी आख्या में बताया कि पहले सत्यापन के प्रपत्र में एसएसआई सोहेल के हस्ताक्षर नहीं हैं। मुहर के ऊपर एसओ के हस्ताक्षर उनके नहीं हैं। इससे स्पष्ट होता है कि मुहर फर्जी तरीके से बनवाकर फर्जी सत्यापन आख्या देकर कोर्ट में प्रस्तुत की गई है। कोर्ट ने वकील पूनम दुबे व जमानतगीर सुभाष दीक्षित, अजय के खिलाफ मऊदरवाजा एसओ को मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए।

अन्य पत्रावलियों में जमानत का फिर से सत्यापन के आदेश

आरोपी विकास यादव की पूर्व में श्याम सिंह व प्रेमचंद्र ने जमानत ली थी। इसमें दोनों ने शपथ पत्र में कहा कि इससे पहले किसी की जमानत नहीं ली। जांच में सामने आया कि वर्ष 2021 में आरोपी महुआ की जमानत इन लोगों ने ली थी। इन जमानतदारों के पक्ष में तहसीलदार अमृतपुर, एसओ अमृतपुर व राजेपुर एसओ की पहले दी गई आख्या के संबंध में फिर से सत्यापन कराने के आदेश दिए। सुनवाई के लिए 17 अक्तूबर की तिथि नीयत की गई।

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