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Delhi high Court takes serious note of incident of filming of girl students in washroom

दिल्ली हाईकोर्ट
– फोटो : एएनआई

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हाईकोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के भारती कॉलेज की छात्राओं का एक शैक्षिक संस्थान के वॉशरूम में ‘फिल्म’ बनाने की घटना को गंभीरता से लिया है। अदालत ने मामले में स्वयं संज्ञान लेते हुए दिल्ली पुलिस को 6 अक्टूबर को हुई घटना से जुड़े आरोपियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के विवरण के साथ दो सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। घटना उस समय हुई जब वह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा आयोजित रेंडेज़वस फेस्टिवल के दौरान कपड़े बदल रही थीं।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की खंडपीठ ने कहा, कॉलेज फेस्ट में उत्पीड़न से छात्राओं को पीड़ा की खबर ने उन्हें झकझोर कर रख दिया। अदालत ने कहा यह मामला आयोजित वार्षिक कॉलेज उत्सवों के लिए नियोजित सुरक्षा उपायों में चूक को सामने लाया। राज्य भर के विश्वविद्यालयों द्वारा, जिसके परिणामस्वरूप ऐसे उत्सवों में भाग लेने वाले छात्रों को चोटें, उल्लंघन और आघात होता है।

पीठ ने कहा इस प्रकरण ने पीड़ितों को व्याकुल कर दिया है, और विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर उनके प्रसार सहित वीडियो के दुरुपयोग के बारे में स्वाभाविक रूप से चिंताएं बढ़ा दी हैं। पीठ ने कहा हमारी राय में यह जरूरी है कि पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए जाएं, जिससे छात्राओं को उल्लंघन के ऐसे कृत्यों का सामना करने के किसी भी आसन्न डर के बिना ऐसे आयोजनों में भाग लेने की अनुमति मिल सके।

पीठ ने कहा उपरोक्त प्रकरण के मद्देनजर यह न्यायालय दिल्ली-एनसीआर में कॉलेजों/विश्वविद्यालयों द्वारा आयोजित समारोहों में विशेष रूप से महिला उपस्थितियों के संबंध में सुरक्षा उल्लंघनों के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेना उचित समझता है।

विश्वविद्यालयों से मांग जानकारी

पीठ ने मामले में आईआईटी, दिल्ली विश्वविद्यालय और गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय को भी नोटिस जारी कर ऐसे में मामलों से निपटने के लिए किए गए उपायों की जानकारी मांगी है। अदालत ने मामले की सुनवाई 10 नवंबर तय की है। दिल्ली पुलिस की वकील नंदिता राव ने अदालत को बताया कि धारा 354सी के तहत मामला दर्ज किया गया है और आरोपी फिलहाल न्यायिक हिरासत में है।

आरोपी की पहचान आईआईटी के हाउसकीपिंग स्टाफ का हिस्सा होने के रूप में की गई। अदालत ने पुलिस को पूरे मामले की रिपोर्ट दाखिल करने के साथ यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि जांच अधिकारी जांच के दौरान अत्यधिक विवेक का प्रयोग करेंगे और इसमें शामिल महिलाओं की पहचान को गुप्त रखेगे।

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