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पीलीभीत। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर, फार्मासिस्ट, स्टाफ नर्स, वार्ड बॉय आदि कर्मचारियों को पिछले तीन महीनों से वेतन नहीं मिला है, जिसकी वजह से उनकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। किसी के बच्चों स्कूल फीस जमा नहीं हुई है तो किसी की ईएमआई टूट गई है।

मेडिकल कॉलेज और महिला अस्पताल को मिलाकर करीब 250 से अधिक का स्टाफ है, जिनको पिछले तीन महीनों से वेतन नहीं मिला है। विभागीय अफसरों ने बताया कि जिला अस्पताल जब से मेडिकल कॉलेज में बदला है, तब से वेतन सहित अन्य समस्याएं आ रहीं हैं। पहले जब जिला अस्पताल था तो स्वास्थ्य विभाग से स्टाफ को वेतन मिलता था, लेकिन मेडिकल कॉलेज बनने पर वेतन चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से आता है।

पहले जिला पुरुष अस्पताल और महिला अस्पताल के स्टाफ का अलग-अगल वेतन निकला था, लेकिन अब सब मेडिकल कॉलेज में होने पर एक साथ वेतन निकलेगा। एक अप्रैल 2023 से जिला अस्पताल मेडिकल कॉलेज में तब्दील होने पर जून तक वेतन दिया गया, इसके बाद वेतन नहीं जारी हो सका। जिला अस्पताल मेडिकल कॉलेज भले ही बन गया, लेकिन अभी न तो मरीजों को उसका उतना लाभ मिल रहा है और न ही वहां के स्टाफ को।

स्टाफ नर्स का हाल बेहाल

मेडिकल कॉलेज में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली स्टाफ नर्स का सबसे बुरा हाल है। मेडिकल कॉलेज में स्टाफ नर्स की भारी कमी है। नियम तो यह एक नर्स पर छह मरीजों की देखरेख की जिम्मेदारी होनी चाहिए, लेकिन यहां स्टाफ इतना कम हैं कि एक नर्स को 40 से 50 मरीजों को देखना पड़ता है। ऐसे में स्टाफ तो परेशान होता ही है साथ ही मरीजों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऊपर से तीन महीने से वेतन न मिलना परेशानी और बढ़ा रहा है। स्टाफ नर्स ने वेतन समय से दिलाने और स्टाफ बढ़ाने के लिए कई बार विभागीय अफसरों से मांग कि, लेकिन उनकी एक न सुनी गई।

स्टाफ को वेतन नहीं मिला है, जिसकी वजह से दिक्कतें आ रही हैं। वेतन की मांग को लेकर शासन को पत्र लिखा गया है। उम्मीद है जल्द ही वेतन मिल जाएगा। – डॉ. संजीव सक्सेना, प्रभारी प्राचार्य मेडिकल कॉलेज

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