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पूरनपुर। कार सवार आठ लोगों की वाराणसी में हुई मौत के बाद गांव मुजफ्फरनगर निवासी दामोदर प्रसाद के पुत्र शांति स्वरूप (10) को लेकर वाराणसी पुलिस रविवार को गांव मुजफ्फरनगर पहुंची। पुलिस ने शांति स्वरूप को उसके ताऊ भगवानदास की सुपुर्दगी में दे दिया। घर में घुसते ही उसने अपनी मां को आवाज दी, मगर कोई जवाब नहीं मिला। तब से वह गुमसुम है। उसके पहुंचने की खबर पर घर पर लोगों का आनाजाना लगा हुआ है।
गांव मुजफ्फरनगर निवासी महेंद्र पाल सिंह कई साल पहले परिवार सहित अपनी ननिहाल गांव रूदपुर में जाकर बस गए थे। एक अक्तूबर को महेंद्र पाल सिंह पत्नी चंद्रकली, गांव मुजफ्फरनगर में रहने वाले भाई दामोदर प्रसाद, उनकी पत्नी निर्मला देवी को साथ लेकर पिता की अस्थि विसर्जित करने गांव रूदपुर निवासी विपिन कुमार और उनकी मां गंगादेवी के साथ वाराणसी गए थे। कार में विपिन कुमार का रिश्तेदार गांव धरमंगदपुर निवासी राजेंद्र यादव और कार चालक गांव पिपरिया दुलई निवासी अमन कश्यप और दामोदर का १० वर्षीय पुत्र शांती स्वरूप था।
चार अक्तूबर की सुबह करीब साढ़े चार बजे अस्थि विसर्जित कर लौटते समय कार लखनऊ हाईवे पर सुरई गांव के पास ट्रक में पीछे घुस गई। हादसे में शांति स्वरूप को छोड़कर अन्य आठों लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। घायल शांति स्वरूप को वाराणसी के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हादसे की सूचना पर वाराणसी पहुंचे लोग अपने परिजनों के शव घर ले आए थे, लेकिन शांती स्वरूप गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती होने के चलते परिजन के साथ नहीं आ पाया था।
रविवार को वाराणसी के चिकित्सक के साथ शांति स्वरूप को साथ लेकर पहुंची पुलिस टीम ने बालक को प्रधान और प्रधान संगठन के जिलाध्यक्ष नरेश पाल सिंह और गांव के अन्य लोगों की मौजूदगी में उसके ताऊ के सुपुर्द कर दिया। शांति स्वरूप के गांव आने की जानकारी पर लोगों की भीड़ लग गई। कई लोगों ने उसे आवाज लगाकर बुलाने की कोशिश की, मगर वह कुछ नहीं बोला। घर में घुसते ही शांति स्वरूप में अपनी मां को आवाज दी। मगर जवाब नहीं मिला। भगवानदास ने बताया कि घटना के बाद से शांति स्वरूप गुमसुम हो गया है। पूरे दिन एकांत में बैठा कुछ सोचता रहा।
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