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पीलीभीत। बदलते मौसम ने अधिकांश लोगों को बीमार कर दिया है। हर घर में कोई न कोई वायरल फीवर से पीड़ित है। निजी हो या सरकारी अस्पताल मरीजों से खचा-खच भरा है। इस बार बुखार के मरीजों में लीवर और किडनी पर असर देखने को मिल रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो इलाज में लापरवाही बरतने और बुखार में दी जाने वाली दवाइयों की वजह से लीवर और किडनी पर असर पड़ता है।

मेडिकल कॉलेज में रोजाना करीब 1500 से ज्यादा मरीज आ रहे हैं। जिसमें अधिकांश बुखार, खांसी से पीड़ित हैं। मात्र एक ही फिजिशियन होने की वजह से मरीजों को घंटों लाइन में लगने के बाद ही दवा मिल पाती है। बुखार से पीड़ित मरीजों की तबीयत में सुधार न होने पर खून की जांच कराई जाती है।

फिजिशियन एंड सर्जन डॉ. इंद्रजीत वर्मा ने बताया कि लंबे समय से बुखार पीड़ित मरीजों को पैरासिटामाल सहित अन्य दवाइयां दी जाती हैं, जिसका असर लीवर और किडनी पर पड़ता है, लेकिन बुखार में यह दवाइयां दी जानी जरूरी हैं। हालांकि दवाइयों का असर किडनी और लीवर पर आंशिक रूप से पड़ता है, जो कुछ दिन बाद ही ठीक हो जाता है। दवा देते समय उसकी मात्रा को देखना बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि लोग बीमार होने पर मेडिकल स्टोर से हाईपॉवर की दवा ले लेते हैं जिससे किडनी और लीवर पर असर पड़ता है।

इलाज में न बरतें लापरवाही

मेडिकल कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ. संजीव सक्सेना ने बताया कि इस मौसम में बहुत ध्यान रखने की जरूरत है। अगर हल्का भी बुखार आए तो तत्काल डॉक्टर को दिखाए। इलाज में लापरवाही भारी पड़ सकती है, जिसमें बच्चों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। बगैर डॉक्टर को दिखाए दवा न लें।

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