फर्रुखाबाद। मोहर्रम के महीने में कर्बला के मैदान पर इमाम हुसैन व उनके 72 जानिसारों की शहादत की याद में हुसैन की सवारी दुलज्जना संग ताबूत उठाए गए। इनकी जियारत करने के लिए अजादारों की भीड़ उमड़ पड़ी। कर्बला का मंजर याद कर लोगों की आंखों से आंसू बहने लगे।

शहर के घेर शामू खां स्थित इंतखाब हुसैन के इमामबाड़े से इमाम हुसैन के चाहने वाले अपने कंधों पर 72 ताबूतों का काफिला लेकर निकले। छोटे हो या बड़े महिलाएं, सब लोग कर्बला का दर्दनाक मंजर याद कर अपनी आंखों से आंसू नहीं रोक सके। या हुसैन या अली की सदाएं बुलंद कर ताबूत का बोसा लेने के लिए सबकी लालसा दिखी। ताबूत की जियारत करने के बाद मजलिस हुई। शिया धर्मगुरु फरहत अली जैदी ने कर्बला का दर्दनाक मंजर बयान किया। कहा कि यह ऐसी कुर्बानी है, इसको कभी भुलाया नहीं जा सकता कहा। इमाम हुसैन व उनके जानिसारों ने कर्बला के मैदान पर शहीद होकर इस्लाम की शमा को हमेशा के लिए रोशन कर दिया।

इस मौके पर सैयद आफताब हुसैन, मुनव्वर हुसैन, मेराज काजमी, अंबार अली, मुनव्वर हुसैन, सनी हैदर, मुंतजिर हुसैन, सैयद हसीन हुसैन, आमिर हुसैन, महताब हुसैन, जावर हुसैन आदि मौजूद रहे।



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