अमृतपुर। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के लिए चलाई जा रही नेशनल मेडिकल मोबाइल यूनिट(एनएमएमयू) एसडीएम के निरीक्षण में धोखा साबित हुई। एंबुलेंस में न तो पूरी दवाएं मिलीं और न ही जांच के कोई इंतजाम। डॉक्टर सहित तीन स्वास्थ्य कर्मी भी गैरहाजिर थे।
नेशनल मेडिकल मोबाइल यूनिट(एनएमएमयू) एक तरह का चलता-फिरता अस्पताल है। इस एंबुलेंस में डॉक्टर सहित पूरा स्टाफ तैनात होने के साथ लैब स्थापित होने से खून की जांच भी मौके पर ही हो जाती है। सरकार का उद्देश्य है कि जिन गांवों से अस्पताल की दूरी अधिक है, वहां एनएमएमयू से स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाई जाएं।
इन दिनों आकांक्षात्मक ब्लाक राजेपुर का अधिकतर भाग बाढ़ प्रभावित होने से बुखार के मरीज बढ़ रहे हैं। इससे स्वास्थ्य विभाग ने एनएमएमयू लगा रखी है। एसडीएम रवींद्र सिंह ने इमादपुर सोमवंशी में खड़ी इस एंबुलेंस का निरीक्षण किया तो वह दंग रह गए। इसमें तैनात डॉ.प्रशांत कुमार, स्टाफ नर्स आकांक्षा त्रिपाठी, लैब टेक्नीशियन प्रभात गांधी गायब थे।
फार्मासिस्ट व पायलट दवा वितरण कर रहा था। इसमें बीपी जांच करने के लिए मशीन भी नहीं मिली। सूची के अनुसार दवा भी नहीं मिली। ग्रामीणों ने बताया कि दवा लिख दी जाती है। उसको मेडिकल स्टोर से खरीद लेते हैं। एसडीएम ने जिलाधिकारी व सीएमओ को पत्र भेजकर बदहाली की पोल खोल दी। गैरहाजिर कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति करने के साथ ही पूरा स्टाफ तैनात करने, सभी दवाइयां उपलब्ध कराने व जांच की व्यवस्था कराने के लिए भी कहा है।