फर्रुखाबाद। मुसलमानों की सबसे पुरानी कही जाने वाली तंजीम सीरत कमेटी में पांच साल बाद आखिरकार उलेमा के हस्तक्षेप से विवाद सुलट गया। काजी सैयद मुताहिर अली को अध्यक्ष और गुलजार अहमद को सचिव की जिम्मेदारी सौंप दी गई। कमेटी के अन्य पदों की घोषणा भी कर दी गई। अध्यक्ष और सचिव दो साल तक पद पर रहेंगे। इसके बाद तीन साल सचिव की जिम्मेदारी जुबैर अंसारी को दी जाएगी। सभी ने सहमति व्यक्त कर खुशी का इजहार किया।

सरवरे कायनात मोसीने इंसानियत की यौमे पैदाइश को लेकर बनी सीरत कमेटी का कार्यकाल पांच साल का रहता था। पांच साल पहले इसमें आपसी विवाद हो गया। इसके बाद कमेटी दो गुटों में बंट गई। दोनों गुट अपने लोगों को सचिव बनाने पर अड़े रहे, मगर आपसी सहमति नहीं बन सकी। चरम पर हो रही गुटबाजी को देखते हुए उलेमा मौलाना शमशाद अहमद चतुर्वेदी, सैयद शाह फसीह मुजीबी के हस्तक्षेप के बाद मंगलवार को सीरत कमेटी का गठन हो गया।

सीरत कमेटी के कार्यकाल पांच साल कार्यकाल में से दो साल के लिए गुलजार अहमद सचिव और सैयद काज़ी मुताहिर अली को अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष मिर्जा हसीन बेग, उपाध्यक्ष मुजफ्फर हुसैन रहमानी, हाफिज निसार उर्फ मुन्ना, बबलू, ऑडिटर अफरोज मल्लू, मीडिया प्रभारी आसिफ कुरैशी के अलावा मोहम्मद हसीन, इंतजार अली, हाजी नफीस अहमद, हाजी शराफत भोले भी शामिल हैं। प्रवक्ता की जिम्मेदारी मुख्तार अहमद टेनी को दी गई। शेष तीन साल के लिए जुवैर अंसारी को सचिव की जिम्मेदारी दी जाएगी।

कई पुराने लोगों को कमेटी में नहीं मिली जगह

उलेमाओं के हस्तक्षेप से गठित सीरत कमेटी में कई पुराने लोगों को जगह नहीं दी गई। इससे बुधवार को कमेटी के कैंप कार्यालय पर होने वाली बैठक में लोग अपना दर्द बयां कर सकते हैं। इसकोे लेकर पुराने पदाधिकारियों में चर्चाएं शुरू हो गईं हैं।



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