
दिल्ली हाईकोर्ट
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दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को 15 साल से अलग रह रहे दंपती को तलाक देने के पारिवारिक अदालत के फैसले को बरकरार रखा है। अदालत ने कहा कि वैवाहिक बंधन का कोई अर्थ न रह जाए तो ऐसी स्थिति को स्वीकार करने का कोई मतलब या अर्थ नहीं है।
उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 तलाक के आधार के रूप में असंगति या स्वभावगत मतभेदों की पहचान नहीं करता। ऐसे में जोड़े वर्षों तक एक-दूसरे से लड़ते रहते हैं, क्योंकि उनके पास रिश्ते से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है।