
एम्स दिल्ली
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एम्स में आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) के तहत उपचार करवाने आ रहे मरीजों को डॉक्टर बाहर से जांच करवाने की सलाह दे रहें हैं। पिछले एक साल से यह चलन काफी बढ़ गया है। वहीं सर्जरी के दौरान स्पाइन व अन्य के लिए इंप्लांट लगाने पर उपचार का खर्च लाभ पैकेज से बाहर हो जाता है। इसे लेकर एम्स निदेशक तक कई शिकायतें पहुंचीं, जिसके बाद एम्स निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास ने समीक्षा बैठक कर जांच एम्स में ही करवाने का आदेश दिया है। साथ ही खर्च घटाने के लिए गुणवत्ता वाले मेड इन इंडिया इंप्लांट लगाने को कहा है।
डॉ. एम श्रीनिवास ने पीएम-जेएवाई लाभार्थियों को दी जा रही सुविधाओं की समीक्षा करने के बाद आदेश दिया कि एम्स माना हुआ संस्थान है। हमें कोशिश करनी चाहिए कि मरीजों की जांच एम्स में ही हो जाए। वहीं सर्जरी के लिए मेड इन इंडिया इंप्लांट खरीदें जाएं, जिससे खर्च में कमी आए और मरीज की सर्जरी खर्च लाभ पैकेज में हो जाए। इसके अलावा यह भी देखा गया है कि पीएम-जेएवाई के मरीजाें के लिए स्थानीय स्तर पर गैर जरूरी खरीद बढ़ गई है। ऐसे में इन गैर जरूरी खरीद को रोकने के लिए केंद्रीय स्तर पर नियंत्रण होना चाहिए, जिससे खरीद में पारदर्शिता आए। इसके अलावा यह भी देखा गया है कि सर्जरी से कुछ समय पहले राज्य स्वास्थ्य एजेंसी ऑर्डर को रद्द कर देती है। ऐसा करने से सर्जरी का खर्च योजना से बाहर हो जाता है, जिससे मरीजों को दिक्कत होती है। इसे रोकने के लिए राज्य स्वास्थ्य एजेंसी को भी निर्देश दिए जाएंगे।
आसानी से मिलेगी ओरल कीमोथेरेपी की दवा : एम्स निदेशक के आदेश के मुताबिक, ओपीडी या डे केयर सेटिंग में निर्धारित ओरल कीमोथेरेपी के पीएम-जेएवाई लाभार्थियों को बिना किसी बाधा के निर्धारित दवाएं मिले। इसके लिए नर्सिंग अधिकारियों को एक दिन पहले अनुमोदित पीपीडी के आधार पर दवा मिलेगी। मरीजों की जांच को भी एम्स में सुनिश्चित करने का आदेश दिया है, ताकि मरीजों को बाहर परेशान न होना पड़े।
रिकाॅर्ड होंगे स्कैनिंग
निदेशक ने स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए नर्सिंग और मेडिकल रिकॉर्ड अधिकारी को मेडिकल रिकॉर्ड की स्कैनिंग करने का आदेश दिया है। साथ ही उपभोग्य सामग्रियों के बारकोड/स्टिकर को टीएमएस पोर्टल पर अपलोड करेंगे। सभी विभाग प्रमुख जांच रिपोर्ट को देने की प्रक्रिया को आसान बनाएंगे, ताकि किसी को रिपोर्ट के लिए अस्पताल में परेशान न होना पड़े। निर्देश में विभागों को एचबीपी-2022 के हिस्से के रूप में अंग और ऊतक प्रत्यारोपण और ओन्को-एनेस्थीसिया और प्रशामक चिकित्सा विशिष्टताओं को तेजी से लागू करने का निर्देश दिया है।